एक किशोर ग़ज़ल-
दिन की चालाकियां रोशन है पलट जाती है
रात भोली है तेरी याद में कट जाती है।
वो जिसके वास्ते "ग्रुप सेल्फ़ी" मैं लेता हूँ
किनारा करके वो आहिस्ता से हट जाती है
कितने मासूम सवालात बिलख उठते हैं
जवाब देके सवालों को उलट जाती है
जब भी मौसम का कहर फेंकता हैं अंगारे
वो किसी फूल के साये में सिमट जाती है
एक लड़के ने कहा आँख दबाकर हंसकर
यार किस्मत में जो होती है वो पट जाती है।
-अजातशत्रु😜😜😜😜😜
No comments:
Post a Comment