Tuesday, October 18, 2016

रामायण के प्रमुख पात्र एवं उनका परिचय

*🔆🌹रामायण के प्रमुख पात्र एवं उनका परिचय🌹🔆*
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*🙏🏻मित्रों अवश्य जाने और अपने आसपास सभी को बतायें भी:-*

ये जानकारी मैंने मात्र इसलिए साझा की है जिससे आप रामायण को आसानी से और अच्छे से समझ सकें।

🌹दशरथ – रघुवंशी राजा इन्द्र के मित्र कोशल प्रदेश के राजा तथा राजधानी एवं निवास अयोध्या।

🌹कौशल्या – दशरथ की बङी रानी, राम की माता।

🌹सुमित्रा - दशरथ की मझली रानी, लक्ष्मण तथा शत्रुधन की माता।

🌹कैकयी - दशरथ की छोटी रानी, भरत की माता।

🌹सीता – जनकपुत्री, राम की पत्नी।

🌹उर्मिला – जनकपुत्री, लक्ष्मण की पत्नी।

🌹मांडवी – जनक के भाई कुशध्वज की पुत्री, भरत की पत्नी।
 
🌹श्रुतकीर्ति - जनक के भाई कुशध्वज की पुत्री, शत्रुध्न की पत्नी।

🌹राम – दशरथ तथा कौशल्या के पुत्र, सीता के पति।

🌹लक्ष्मण - दशरथ तथा सुमित्रा के पुत्र, उर्मिला के पति।

🌹भरत – दशरथ तथा कैकयी के पुत्र, मांडवी के पति।

🌹शत्रुध्न - दशरथ तथा सुमित्रा के पुत्र, श्रुतकीर्ति के पति, मथुरा के राजा लवणासुर के संहारक।

🌹शान्ता – दशरथ की पुत्री, राम बहन।

🌹बाली – किश्कंधा (पंपापुर) का राजा, रावण का मित्र तथा साढ़ू, साठ हजार हाथीयों का बल।

🌹सुग्रीव – बाली का छोटा भाई, जिनकी हनुमान जी ने मित्रता करवाई।

🌹तारा – बाली की पत्नी, अंगद की माता, पंचकन्याओं में स्थान।

🌹रुमा – सुग्रीव की पत्नी, सुषेण वैध की बेटी।

🌹अंगद – बाली तथा तारा का पुत्र।

🌹रावण – ऋषि पुलस्त्य का पौत्र, विश्रवा तथा पुष्पोत्कटा (केकसी) का पुत्र।

🌹कुंभकर्ण – रावण तथा कुंभिनसी का भाई, विश्रवा तथा पुष्पोत्कटा (केकसी) का पुत्र।

🌹कुंभिनसी – रावण तथा कूंभकर्ण की बहन, विश्रवा तथा पुष्पोत्कटा (केकसी) की पुत्री।

🌹विश्रवा - ऋषि पुलस्त्य का पुत्र, पुष्पोत्कटा-राका-मालिनी के पति।

🌹विभीषण – विश्रवा तथा राका का पुत्र, राम का भक्त।

🌹पुष्पोत्कटा (केकसी) – विश्रवा की पत्नी, रावण, कुंभकर्ण तथा कुंभिनसी की माता।

🌹राका – विश्रवा की पत्नी, विभीषण की माता।

🌹मालिनी - विश्रवा की तीसरी पत्नी, खर-दूषण त्रिसरा तथा शूर्पणखा की माता।

🌹त्रिसरा – विश्रवा तथा मालिनी का पुत्र, खर-दूषण का भाई एवं सेनापति।

🌹शूर्पणखा - विश्रवा तथा मालिनी की पुत्री, खर-दूसन एवं त्रिसरा की बहन, विंध्य क्षेत्र में निवास।

🌹मंदोदरी – रावण की पत्नी, तारा की बहन, पंचकन्याओ मे स्थान।

🌹मेघनाद – रावण का पुत्र इंद्रजीत, लक्ष्मण द्वारा वध।

🌹दधिमुख – सुग्रीव के मामा।

🌹ताड़का – राक्षसी, मिथिला के वनों में निवास, राम द्वारा वध।

🌹मारीची – ताड़का का पुत्र, राम द्वारा वध (स्वर्ण मर्ग के रूप मे )।

🌹सुबाहू – मारीची का साथी राक्षस, राम द्वारा वध।

🌹सुरसा – सर्पो की माता।

🌹त्रिजटा – अशोक वाटिका निवासिनी राक्षसी, रामभक्त, सीता से अनुराग।

🌹प्रहस्त – रावण का सेनापति, राम-रावण युद्ध में मृत्यु।

🌹विराध – दंडक वन मे निवास, राम लक्ष्मण द्वारा मिलकर वध।

🌹शंभासुर – राक्षस, इन्द्र द्वारा वध, इसी से युद्ध करते समय कैकेई ने दशरथ को बचाया था तथा दशरथ ने वरदान देने को कहा।

🌹सिंहिका – लंका के निकट रहने वाली राक्षसी, छाया को पकड़कर खाती थी।

🌹कबंद – दण्डक वन का दैत्य, इन्द्र के प्रहार से इसका सर धड़ में घुस गया, बाहें बहुत लम्बी थी, राम-लक्ष्मण को पकड़ा, राम- लक्ष्मण ने गङ्ढा खोद कर उसमें गाड़ दिया।

🌹जामबंत – रीछ थे, रीछ सेना के सेनापति।

🌹नल – सुग्रीव की सेना का वानरवीर।

🌹नील – सुग्रीव का सेनापति जिसके स्पर्श से पत्थर पानी पर तैरते थे, सेतुबंध की रचना की थी।

🌹नल और नील – सुग्रीव सेना में इंजीनियर व राम सेतु निर्माण मे महान योगदान। (विश्व के प्रथम इंटरनेशनल हाईवे "रामसेतु" के आर्किटेक्ट इंजीनियर)

🌹शबरी – अस्पृश्य जाती की रामभक्त, मतंग ऋषि के आश्रम में राम-लक्ष्मण-सीता का आतिथ्य सत्कार।

🌹संपाती – जटायु का बड़ा भाई, वानरों को सीता का पता बताया।

🌹जटायु – रामभक्त पक्षी, रावण द्वारा वध, राम द्वारा अंतिम संस्कार।

🌹गृह – श्रंगवेरपुर के निषादों का राजा, राम का स्वागत किया था।

🌹हनुमान – पवन के पुत्र, राम भक्त, सुग्रीव के मित्र।

🌹सुषेण वैध – सुग्रीव के ससुर।

🌹केवट – नाविक, राम-लक्ष्मण-सीता को गंगा पार करायी।

🌹शुक्र-सारण – रावण के मंत्री जो बंदर बनकर राम की सेना का भेद जानने गये।

🌹अगस्त्य – पहले आर्य ऋषि जिन्होंने विन्ध्याचल पर्वत पार किया था तथा दक्षिण भारत गये।

🌹गौतम – तपस्वी ऋषि, अहल्या के पति, आश्रम मिथिला के निकट।

🌹अहल्या - गौतम ऋषि की पत्नी, इन्द्र द्वारा छलित तथा पति द्वारा शापित, राम ने शाप मुक्त किया, पंचकन्याओं में स्थान।

🌹ऋण्यश्रंग – ऋषि जिन्होंने दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कटाया था।

🌹सुतीक्ष्ण – अगस्त्य ऋषि के शिष्य, एक ऋषि।

🌹मतंग – ऋषि, पंपासुर के निकट आश्रम, यही शबरी भी रहती थी।

🌹वसिष्ठ – अयोध्या के सूर्यवंशी राजाओं के गुरु।

🌹विश्वमित्र – राजा गाधि के पुत्र, राम-लक्ष्मण को धनुर्विधा सिखायी थी।

🌹शरभंग – एक ऋषि, चित्रकूट के पास आश्रम।

🌹सिद्धाश्रम – विश्वमित्र के आश्रम का नाम।

🌹भरद्वाज – बाल्मीकी के शिष्य, तमसा नदी पर क्रौच पक्षी के वध के समय वाल्मीकि के साथ थे, माँ-निषाद' वाला श्लोक कंठाग्र कर तुरंत वाल्मीकि को सुनाया था।

🌹सतानन्द – राम के स्वागत को जनक के साथ जाने वाले ऋषि।

🌹युधाजित – भरत के मामा।

🌹जनक – मिथिला के राजा।

🌹सुमन्त्र – दशरथ के आठ मंत्रियों में से प्रधान।

🌹मंथरा – कैकयी की मुंह लगी दासी, कुबड़ी।

🌹देवराज – जनक के पूर्वज-जिनके पास परशुराम ने शंकर का धनुष सुनाभ (पिनाक) रख दिया था।

🌹अयोध्या  – राजा दशरथ के कोशल प्रदेश की राजधानी, बारह योजना लंबी तथा तीन योजन चौड़ी, नगर के चारों ओर ऊँची व चौड़ी दीवारें व खाई थीं। राजमहल से आठ सड़के बराबर दूरी पर परकोटे तक जाती थी।

*🙏🏻मित्रों मैंने ये सारे तथ्य कई जगह से संग्रह किये हैं त्रुटि हो सकती है। अतः यदि कहीं कोई त्रुटि या कमी हो अवश्य अवगत करायें।*  

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