मुहब्बत की हक़ीक़त आज़मा कर देखते हैं
किसी की चाह सीने में जगा कर देखते हैं
ज़मीनों आसमा के फासले मिटते न देखा
चलो हम आज ये दूरी मिटा कर देखते हैं
ये कैसी आग है जिसमे फ़ना होते हैं कितने
कभी इस आग में खुद को जला कर देखते हैं
बड़ी बेदर्द दुनिया है बड़ा खुदसर जमाना
किसी के दर्द को अपना बना कर देखते हैं
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